चेहरे पर मुस्कुराहट, सर पर चमकती हुई टोपी ,बदन पर स्त्री किए हुए कपड़े और सलीके से दाढ़ी व सर के बाल संवारे हुए किसी मस्जिद के इमाम को जब हम देखते हैं तो हैरत जदह रह जाते हैं कि इनकी भी क्या जिंदगी है ,जितने पैसों में हमारे बच्चों का 1 महीने का खर्च पूरा नहीं हो पाता उतने में यह हजरात ऐश की जिंदगी कैसे जी लेते हैं ? यह एक ऐसा सवाल है जो अक्सर लोगों के जेहन में आता है और फिर इसका जवाब भी खुद ब खुद जेहन में आ जाता है के इनकी कमाई में अल्लाह पाक बरकत बहुत अता फरमाता है ,यहां एक सवाल उठता है कि अल्लाह पाक सिर्फ इमाम के पैसों में ही बरकत क्यों आता फरमाता है …
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