मदीना (जिसे पहले यसरिब कहा जाता था) में यहूदी जनजातियाँ इस्लाम से पहले से निवास कर रही थीं। इस्लाम के आगमन और पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) के नेतृत्व में मदीना में इस्लामी राज्य स्थापित होने के बाद, यहूदियों के साथ कई घटनाएँ हुईं, जिनके कारण उन्हें मदीना से निष्कासित किया गया। इसका विवरण ऐतिहासिक और इस्लामी स्रोतों के अनुसार इस प्रकार है:
मदीना में तीन प्रमुख यहूदी जनजातियाँ रहती थीं:
1. बनू कायनुका
2. बनू नज़ीर
3. बनू कुरैज़ा
ये जनजातियाँ मदीना के अरब कबीलों (औस और खज़राज) के साथ रहती थीं। ये कृषि, व्यापार और सोने-चांदी के कारोबार में लगी हुई थीं।
इस्लाम के आगमन के बाद का दौर
मदीना चार्टर (संधि):
जब पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) ने मदीना में प्रवास (हिजरत) किया, तो उन्होंने वहां के सभी समुदायों (मुसलमानों, यहूदियों और अन्य) के साथ एक संधि की। इसे मदीना चार्टर कहा जाता है।
इस संधि के मुख्य बिंदु थे:
1. सभी समुदाय आपस में शांति और सहयोग बनाए रखेंगे।
2. मदीना पर हमला होने पर सभी जनजातियाँ मिलकर रक्षा करेंगी।
3. कोई भी समुदाय किसी बाहरी दुश्मन के साथ सहयोग नहीं करेगा।
यहूदियों को निष्कासित करने के कारण
1. बनू कायनुका:
घटना:
बनू कायनुका ने मदीना चार्टर का उल्लंघन किया। एक बार उन्होंने एक मुस्लिम महिला के साथ बाजार में बदसलूकी की। इस घटना पर विवाद हुआ और मामला संघर्ष तक पहुँच गया।
निष्कासन:
इसके बाद, पैगंबर (ﷺ) ने बनू कायनुका से मदीना छोड़ने को कहा। उन्हें शांति से शहर छोड़ने दिया गया।
2. बनू नज़ीर:
घटना:
बनू नज़ीर ने पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) की हत्या की साजिश रची थी। जब यह साजिश उजागर हुई, तो उन्हें मदीना से निष्कासित कर दिया गया।
निष्कासन:
बनू नज़ीर को मदीना छोड़कर खैबर की ओर जाने का आदेश दिया गया।
3. बनू कुरैज़ा:
घटना:
खंदक की लड़ाई (अहज़ाब का युद्ध) के दौरान, जब मदीना पर क़ुरैश और उनके सहयोगियों ने हमला किया, बनू कुरैज़ा ने मदीना चार्टर का उल्लंघन करते हुए दुश्मनों के साथ गुप्त संधि कर ली।
सजा:
युद्ध के बाद, जब उनकी गद्दारी साबित हुई, तो बनू कुरैज़ा पर कड़ा फैसला लिया गया। उनकी संपत्ति जब्त कर ली गई, और उनके पुरुषों को मौत की सजा दी गई।
निष्कर्ष
मदीना से यहूदियों को निष्कासित करने का मुख्य कारण उनका बार-बार मदीना चार्टर का उल्लंघन और इस्लामी राज्य के खिलाफ साजिशें थीं।
पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) ने शुरुआत में यहूदियों के साथ शांति और सहयोग का वातावरण बनाने की कोशिश की थी, लेकिन उनकी गद्दारी और आक्रमणकारी गतिविधियों के कारण उन्हें मदीना छोड़ना पड़ा।
यह घटनाएँ मदीना के राजनीतिक और सामाजिक स्थायित्व के लिए की गई थीं और इस्लामिक इतिहास में इन्हें न्यायसंगत निर्णय माना गया है।
सैफुल्लाह कमर शिबली
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