मोहम्मद बिन कासिम: भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लामी शासन की शुरुआत


मोहम्मद बिन कासिम (695-715 ई.) इस्लामी इतिहास के सबसे युवा और कुशल सैन्य जनरलों में से एक थे। वे उमय्यद खलीफा के एक प्रमुख योद्धा थे, जिन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लामी शासन की नींव रखी। उनकी सबसे बड़ी विजय सिंध और मुल्तान के क्षेत्रों में हुई, जो आज पाकिस्तान में स्थित हैं।


1. प्रारंभिक जीवन



जन्म:

मोहम्मद बिन कासिम का जन्म 695 ई. में अरब के प्रसिद्ध शहर तायफ में हुआ।


परिवार:

उनका संबंध एक प्रतिष्ठित साक़िफ़ कबीले से था। उनके चाचा हज्जाज बिन यूसुफ उमय्यद खलीफा के एक शक्तिशाली प्रशासक थे।


शिक्षा और प्रशिक्षण:

बचपन से ही मोहम्मद बिन कासिम ने सैन्य शिक्षा, रणनीति और प्रशासन का गहन अध्ययन किया।


2. सिंध अभियान का कारण


मोहम्मद बिन कासिम को भारतीय उपमहाद्वीप भेजे जाने का मुख्य कारण सिंध के राजा दाहिर के शासनकाल के दौरान अरब व्यापारियों पर हो रहे हमले थे।


एक महत्वपूर्ण घटना तब हुई जब अरब व्यापारियों का एक जहाज, जो श्रीलंका से महिलाओं और बच्चों को लेकर जा रहा था, दाहिर के सैनिकों द्वारा लूटा गया।


उमय्यद खलीफा वलीद बिन अब्दुल मलिक और हज्जाज बिन यूसुफ ने इसे एक अन्याय माना और सिंध पर अभियान चलाने का फैसला किया।



3. सिंध विजय (711 ई.)


मोहम्मद बिन कासिम ने 711 ई. में सिंध पर आक्रमण किया।


उन्होंने 17 साल की उम्र में अरब सेना का नेतृत्व किया।


प्रमुख लड़ाइयाँ:


1. देबल की लड़ाई:

मोहम्मद बिन कासिम ने देबल (आधुनिक कराची के पास) के किले को जीत लिया।



2. निरून और सेहवान की विजय:

इसके बाद उन्होंने सिंध के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों को जीता।



3. अरौर की लड़ाई:

सिंध के राजा दाहिर को अरौर के पास एक निर्णायक युद्ध में हराकर मार दिया।


इन विजयों के बाद उन्होंने मुल्तान तक के क्षेत्र पर कब्जा कर लिया।


4. मोहम्मद बिन कासिम की प्रशासनिक नीतियाँ


धार्मिक सहिष्णुता:

मोहम्मद बिन कासिम ने स्थानीय हिंदू और बौद्ध आबादी के धार्मिक स्थलों की रक्षा की और उन्हें अपनी धार्मिक प्रथाओं का पालन करने की स्वतंत्रता दी।


न्याय व्यवस्था:

उन्होंने स्थानीय लोगों पर हल्के कर लगाए और उनकी समस्याओं को हल करने के लिए न्यायप्रिय नीतियाँ अपनाईं।


स्थानीय अधिकारियों का उपयोग:

उन्होंने शासन में स्थानीय हिंदू और बौद्ध अधिकारियों को शामिल किया।


5. मोहम्मद बिन कासिम का पतन और मृत्यु


मोहम्मद बिन कासिम की विजय के कुछ वर्षों बाद उमय्यद खलीफा वलीद बिन अब्दुल मलिक का निधन हो गया।


नए खलीफा सुलेमान बिन अब्दुल मलिक ने हज्जाज बिन यूसुफ और उनके परिवार से नफरत के कारण मोहम्मद बिन कासिम को वापस बुला लिया।


उन्हें कैद कर दिया गया और 715 ई. में 20 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई।


6. मोहम्मद बिन कासिम की विरासत


भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लामी शासन:

मोहम्मद बिन कासिम ने भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लामी शासन की नींव रखी।


सांस्कृतिक प्रभाव:

उनकी विजय के साथ भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लामी संस्कृति, कला, और वास्तुकला का प्रवेश हुआ।


धार्मिक सहिष्णुता का उदाहरण:

उन्होंने दिखाया कि एक विजेता दया, न्याय और सहिष्णुता के माध्यम से जनता का दिल जीत सकता है।


इतिहास में स्थान:

मोहम्मद बिन कासिम को भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लामी इतिहास के पहले महानायक के रूप में देखा जाता है।


7. निष्कर्ष


मोहम्मद बिन कासिम केवल एक योद्धा नहीं थे, बल्कि एक कुशल प्रशासक और न्यायप्रिय नेता भी थे। उन्होंने अपनी युवावस्था में अद्भुत साहस और नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया। उनकी विजय ने भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लाम के प्रसार और अरबों के प्रभाव की नींव रखी। उनकी कहानी इतिहास में वीरता, सहिष्णुता और न्याय का प्रतीक है।


सैफुल्लाह कमर शिबली 


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