बॉलीवुड के फिल्मी गाने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में पसंद किए जाते हैं , लोग बड़े शौक से सुनते और मजे लेते हैं , लेकिन मजहबे इस्लाम में फिल्मी गाने सुनना हराम है, इस मसले को शायद ही कोई ऐसा मुसलमान हो जो ना जानता हो, लेकिन हां ! फिल्मी गाने सुनना क्यों हराम है यह बात बहुत कम मुसलमान जानते हैं तो आइए मैं आपको बताता हूं
मजहबे इस्लाम में गाना हराम होने की कई वजह है जिसमें कुछ यह है, म्यूजिक ,औरत की आवाज और गलत शायरी
गाना सुनना हराम है इस टॉपिक पर इतनी तकरीरें की गई है कि हर मुसलमान बच्चों से लेकर बड़ों तक के जेहन में यह बात बैठ गई है कि गाना सुनना हराम है ,लेकिन क्यों हराम है इस पर तकरीर ना होने का नतीजा है कि लोग बड़े शौक से अपने घरों में कव्वाली सुनते ही नहीं बल्कि उसे जायज भी मानते हैं , हालांकि कव्वाली में भले ही शायरी अच्छी हो लेकिन उसमें म्यूजिक तो हराम है
इसी तरह से काफी परहेज़गार लोग मुशायरे में शरीक होते और वहां औरतों की आवाज में इश्किया शायरी सुनकर मजे लेते हैं , उन्हें पता ही नहीं कि गाना सुनना क्यों हराम है
क्या आपको नहीं लगता के इस तरफ अआलिमो को ध्यान देना चाहिए ? क्योंकि मुशायरा में औरत की आवाज और कव्वाली में म्यूजिक सुनना अलग बात है लेकिन उसको जायज समझना बहुत बड़ा मसला है,यही दो चीजों को अगर मिला दिया जाए तो वही गाना बन जाता है
सैफुल्लाह क़मर
0 टिप्पणियाँ