हकीम लुकमान जिसे सारी दुनिया में शायद ही कोई ऐसा इंसान हो जो ना जानता हो उसी हकीम ने एक बहुत प्यारी बात कही है कि मैंने अपनी जिंदगी में 300 साल तक अलग-अलग तरीके से लोगों का इलाज किया मगर इस काफी लंबे तजुर्बे के बाद मैंने सीखा के इंसान के लिए सबसे बेहतरीन दवा मोहब्बत और इज्जत है , मतलब मोहब्बत और इज्ज़त ऐसी दवा है जो बड़े बड़े बिगड़े हुए इंसान को ठीक कर देती है , यह बात सुनकर हकीम साहब से किसी ने सवाल किया अगर यह दवा किसी पर असर ना करे तो क्या करें ? तो हकीम साहब मुस्कुराकर कहने लगे फिर तुम दवा का डोज और ज्यादा बढ़ा दो
दोस्तों ....हकीम लुकमान जिसका जिक्र कुरान मजीद में भी आया है एक बहुत ही दाना किस्म के आदमी थे , उनकी हिक्मत काफी मशहूर है ,उर्दू जबान में एक कहावत है वहम की दवा तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं है ,यह कहावत उस जानिब इशारा करता है कि हकीम लुकमान के पास मौत और वहम के अलावा सारी बीमारियों का इलाज था ,उस जैसा हकीम आज तक कोई दूसरा ना हो सका
कुरान शरीफ में उनकी कुछ नसीहत दर्ज है और उन्हीं के नाम पर कुरान मजीद की एक सूरह का नाम भी रखा गया है जिसका नाम है सुरह लुकमान ,हकीम लुकमान जिंदगी भर लोगों का इलाज करते रहे और लोगों को नसीहत करते रहे ,
हिकमत एक ऐसी चीज है जिसे अल्लाह ताला जिसके दिल में रख देता है उसका दिल रोशन हो जाता है ,अल्लाह पाक ने नींद की हालत में हकीम लुकमान को अचानक हिक्मत अता फरमा दी थी
मशहूर है कि आप एक दर्जी थे लोगों के कपड़े सिला करते थे और बाज ने लिखा है कि आप बकरियां चराया करते थे ,एक मर्तबा आप हिक्मत की बात कर रहे थे तो किसी ने कहा तुम एक चरवाहे हो फिर हिकमत के इस मरतवे पर कैसे पहुंचे ? हकीम लुकमान ने कहा के, बातों में सच्चाई और अमानत की अदायगी और बेकार बातों से बचने की वजह से
बाज किताबों में दर्ज है कि हकीम लुकमान ने फरमाया कि मैंने 4000 नबियों की बारगाह में हाजरी दी है , आपकी जहां कब्र है वहां पर लगभग 70 नबियों की कबरें हैं
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masha allah
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