पंखे की कहानी, पंखे की ज़ुबानी
मैं पंखा हूँ। मेरी कहानी संघर्ष, तप, सम्मान, उपयोगिता और फिर बेकार हो जाने की है। मैं कभी धरती की गहराइयों में पड़ा लोहा था, फिर इंसानों ने मुझे खोजा, भट्टी में जलाया, नया रूप देकर एक उपयोगी वस्तु बनाया, और जब मेरी उपयोगिता खत्म हुई, तो मुझे कचरे के ढेर में फेंक दिया गया। लेकिन मेरी यात्रा यहीं खत्म नहीं हुई। मैं फिर उठ खड़ा हुआ, और एक नई जिंदगी पाई। मेरी यह कहानी तुम्हें सिखाएगी कि जीवन में हर चीज़ का एक चक्र होता है—कभी सम्मान, तो कभी तिरस्कार, लेकिन हर अंत एक नई शुरुआत की ओर ले जाता है। 1. धरती से फैक्ट्री तक: जन्म और संघर्ष मैंने अपनी यात्रा धरत…
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