पंखे की कहानी, पंखे की ज़ुबानी


मैं पंखा हूँ। मेरी कहानी संघर्ष, तप, सम्मान, उपयोगिता और फिर बेकार हो जाने की है। मैं कभी धरती की गहराइयों में पड़ा लोहा था, फिर इंसानों ने मुझे खोजा, भट्टी में जलाया, नया रूप देकर एक उपयोगी वस्तु बनाया, और जब मेरी उपयोगिता खत्म हुई, तो मुझे कचरे के ढेर में फेंक दिया गया। लेकिन मेरी यात्रा यहीं खत्म नहीं हुई। मैं फिर उठ खड़ा हुआ, और एक नई जिंदगी पाई। मेरी यह कहानी तुम्हें सिखाएगी कि जीवन में हर चीज़ का एक चक्र होता है—कभी सम्मान, तो कभी तिरस्कार, लेकिन हर अंत एक नई शुरुआत की ओर ले जाता है।




1. धरती से फैक्ट्री तक: जन्म और संघर्ष

मैंने अपनी यात्रा धरती की गहराइयों में शुरू की। हजारों सालों तक मैं चट्टानों और मिट्टी के नीचे दबा रहा। एक दिन इंसानों ने मुझे खोज लिया। बड़ी-बड़ी मशीनों ने मुझे खोदकर बाहर निकाला और ट्रकों में भरकर एक फैक्ट्री में भेज दिया।

अब मेरी असली परीक्षा शुरू होने वाली थी।

वहाँ मुझे भट्टी में डाल दिया गया। आग की लपटों ने मुझे चारों तरफ से घेर लिया। मैं महसूस कर सकता था कि मेरा अस्तित्व पिघल रहा था, मेरा शरीर गर्मी से टूट रहा था, और दर्द असहनीय था।

लेकिन मैं जानता था कि यह दर्द मेरी किस्मत बदलने वाला था। यह तपस्या मुझे एक नया जीवन देने वाली थी।

घंटों की तपिश के बाद, मैं पूरी तरह पिघल चुका था। अब मैं एक गर्म, लाल रंग का तरल धातु था। फिर मुझे एक नए साँचे में डाला गया और ठंडा किया गया। जब मैं ठंडा हुआ, तो मैं एक मजबूत स्टील की छड़ में बदल चुका था। लेकिन मेरी यात्रा अभी खत्म नहीं हुई थी।

फिर कारीगरों ने मुझे काटा, मोड़ा और पंखे के पत्ते और मोटर के हिस्से में बदल दिया। मैं धीरे-धीरे एक पंखे के रूप में आकार लेने लगा। अब मैं तैयार था—हवा देने के लिए, गर्मी में राहत देने के लिए।


2. दुकान में इज्ज़त और घर में अहमियत

फैक्ट्री से निकलने के बाद, मुझे एक व्यापारी ने खरीदा और अपनी दुकान में रख दिया। वहाँ लोग मुझे ध्यान से देखते, मुझे छूकर परखते, और सोचते कि मैं उनके घर के लिए सही हूँ या नहीं।

फिर एक आदमी आया और उसने मुझे खरीद लिया। वह मुझे अपने घर ले गया और छत से टांग दिया।

अब मैं घर का एक अहम हिस्सा बन गया था। जब भी गर्मी बढ़ती, लोग मेरे पास आते और मेरा स्विच ऑन कर देते। मैं खुशी-खुशी घूमता और पूरे कमरे में ठंडी हवा फैलाता।

बच्चे मेरी हवा में खेलते, बुज़ुर्ग मेरी हवा में चैन की नींद सोते। मैं खुश था, क्योंकि मेरी ज़रूरत थी, मेरी इज्ज़त थी।

लेकिन मैं जानता था कि समय के साथ सब कुछ बदल जाता है।




3. पुराना होना और कचरे में फेंक दिया जाना

समय बीतता गया। धीरे-धीरे मेरी मोटर कमजोर पड़ने लगी, पंखों में जंग लग गया, और अब मैं पहले जैसा तेज़ नहीं घूमता था।

फिर एक दिन, घरवालों ने एक नया पंखा खरीद लिया।

उन्होंने मुझे खोलकर नीचे उतारा और बिना एक बार सोचे-समझे कचरे के ढेर में फेंक दिया।

मुझे बहुत बुरा लगा। एक समय था जब मेरी इज्ज़त थी, और आज मैं बेकार समझा जाने वाला कचरा बन गया था।

मैं वहाँ पड़ा था, टूटा हुआ, जंग लगा हुआ, और अकेला। मैं सोचने लगा—क्या मेरी यात्रा यहीं खत्म हो गई?


4. कबाड़ीवाले की दुकान और दूसरा जन्म

कुछ दिनों बाद, एक कबाड़ीवाला आया। उसने मुझे उठाया और अपनी दुकान पर ले गया। वहाँ मुझ जैसे और भी पुराने धातु के टुकड़े पड़े थे—पुराने पाइप, टूटे हुए गियर, जंग लगे लोहे के दरवाज़े।

फिर उसने मुझे फिर से फैक्ट्री में बेच दिया।

वहाँ मुझे फिर से भट्टी में डाला गया, फिर से जलाया गया, फिर से पिघलाया गया।

इस बार, जब मुझे नया रूप दिया गया, तो मैं किसी पुल का हिस्सा बना, किसी इमारत की मजबूत छड़, या शायद किसी ट्रेन का हिस्सा।

मैं फिर से नया हो गया था।


5. सीख: हर चीज़ का एक चक्र होता है

मेरी कहानी यही सिखाती है कि जीवन में हर चीज़ बदलती है। कभी हम सम्मान के शिखर पर होते हैं, तो कभी कचरे के ढेर में। लेकिन अंत हमेशा अंत नहीं होता—हर गिरावट के बाद एक नया मौका मिलता है।

इसलिए, जब तुम खुद को बेकार या असफल महसूस करो, तो याद रखना कि पंखे की तरह, तुम्हें भी एक नया अवसर मिलेगा। बस धैर्य रखो और खुद को फिर से निखारने के लिए तैयार रहो।

"हर अंत एक नई शुरुआत का संकेत होता है!"


सैफुल्लाह कमर शिबली 

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