वास्को डी गामा एक प्रसिद्ध पुर्तगाली नाविक और खोजकर्ता थे, जिन्होंने भारत जाने का समुद्री मार्ग खोजा। उनका जन्म 1460 में पुर्तगाल के साइनस नामक स्थान पर हुआ था। वास्को डी गामा को इतिहास में यूरोपीय खोज यात्राओं के युग में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति माना जाता है।
भारत की यात्रा और वास्को डी गामा की खोज
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पृष्ठभूमि:
- 15वीं शताब्दी में यूरोप और एशिया के बीच व्यापार का एकमात्र मार्ग ज़मीन के रास्ते (सिल्क रोड) से था, जो लंबा और महंगा था।
- पुर्तगाल ने समुद्र के रास्ते भारत तक पहुंचने की योजना बनाई, ताकि मसालों और अन्य व्यापारिक वस्तुओं को सीधे लाया जा सके।
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यात्रा:
- 1497 में वास्को डी गामा ने पुर्तगाल के राजा मैन्युएल प्रथम के आदेश पर समुद्री मार्ग से भारत की यात्रा शुरू की।
- वह अफ्रीका के पश्चिमी तट से होते हुए "केप ऑफ गुड होप" (अफ्रीका के दक्षिणी सिरे) को पार करके हिंद महासागर में पहुंचा।
- 20 मई 1498 को वास्को डी गामा भारत के कालीकट (अब कोझिकोड, केरल) के तट पर पहुंचा।
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कालीकट में स्वागत:
- कालीकट के राजा (जिन्हें ज़मोरिन कहा जाता था) ने वास्को डी गामा का स्वागत किया।
- वास्को डी गामा ने मसाले, चंदन, रेशम, और अन्य व्यापारिक वस्तुओं का व्यापार शुरू किया।
वास्को डी गामा का महत्व
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भारत और यूरोप के बीच व्यापार का मार्ग:
- वास्को डी गामा की यात्रा ने भारत और यूरोप के बीच समुद्री व्यापार का मार्ग खोल दिया।
- इसके बाद, पुर्तगाल ने भारत में कई व्यापारिक ठिकाने बनाए और यूरोपीय देशों की भारत में रुचि बढ़ी।
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उपनिवेशवाद की शुरुआत:
- वास्को डी गामा की यात्रा ने भारत में यूरोपीय उपनिवेशवाद की नींव रखी।
- बाद में पुर्तगाल, डच, फ्रांसीसी, और अंग्रेज़ भारत में व्यापार और सत्ता के लिए प्रतिस्पर्धा करने लगे।
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पुर्तगाल का विस्तार:
- पुर्तगाल ने गोवा को अपना मुख्य ठिकाना बनाया और लंबे समय तक भारत में व्यापार और सत्ता पर नियंत्रण रखा।
वास्को डी गामा की बाद की यात्राएं
- वास्को डी गामा ने भारत की तीन यात्राएं कीं।
- 1524 में वह भारत के गोवा में पुर्तगाली साम्राज्य का वायसराय (Governor-General) बनकर आया।
- उसी साल, 1524 में भारत में उसकी मृत्यु हो गई।
वास्को डी गामा की विरासत
वास्को डी गामा की यात्रा ने न केवल भारत और यूरोप के बीच व्यापार का मार्ग खोला, बल्कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों को आपस में जोड़ने में मदद की। हालांकि उनकी यात्राओं के साथ उपनिवेशवाद और शोषण का इतिहास भी जुड़ा है, लेकिन समुद्री अन्वेषण के क्षेत्र में उनका योगदान अविस्मरणीय है।
सैफुल्लाह कमर शिबली

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