मस्जिद अल-अक्सा इस्लाम धर्म का तीसरा सबसे पवित्र स्थान है। यह पवित्र स्थल यरूशलम (जेरूसलम) शहर में स्थित है और इसे इतिहास, धर्म और राजनीति के कारण दुनिया भर में विशेष महत्व प्राप्त है।
1. नाम का अर्थ
"मस्जिद अल-अक्सा" का अर्थ है "सबसे दूर की मस्जिद"।
इसका यह नाम कुरान की सूरह असरा (17:1) में आता है, जहाँ नबी मोहम्मद (सल्ल.) के असरा व मेराज के दौरान जिक्र किया गया है।
2. इस्लाम में मस्जिद अल-अक्सा का महत्व
पहला किबला:
इस्लाम के प्रारंभिक दिनों में मुसलमान नमाज के दौरान मस्जिद अल-अक्सा की तरफ रुख करके इबादत करते थे।
बाद में किबला मक्का में काबा की तरफ बदल दिया गया।
असरा व मेराज:
मस्जिद अल-अक्सा का उल्लेख नबी मोहम्मद (सल्ल.) के असरा व मेराज के संदर्भ में किया गया है।
इस रात, नबी (सल्ल.) मक्का से मस्जिद अल-अक्सा तक बुराक पर गए और वहाँ सभी नबियों की इमामत की। इसके बाद वे आसमानों की यात्रा पर गए।
तीन पवित्र मस्जिदों में से एक:
नबी (सल्ल.) ने फरमाया कि केवल तीन मस्जिदों की यात्रा का विशेष सवाब है:
1. मस्जिद अल-हरम (मक्का)
2. मस्जिद अन-नबवी (मदीना)
3. मस्जिद अल-अक्सा (यरूशलम)
3. मस्जिद अल-अक्सा का इतिहास
निर्माण:
इस्लामी मान्यता के अनुसार, मस्जिद अल-अक्सा का निर्माण हजरत आदम (अलैह.) ने किया था।
यह दुनिया की दूसरी सबसे पुरानी मस्जिद मानी जाती है, पहली मस्जिद काबा है।
हजरत सुलेमान (अलैह.) का योगदान:
कहा जाता है कि हजरत सुलेमान (अलैह.) ने मस्जिद को पुनः निर्मित किया और इसे और भव्य बनाया।
इस्लामी विजय:
637 ई. में, हजरत उमर (रजि.) के शासनकाल में इस्लामी सेनाओं ने यरूशलम को विजित किया।
उन्होंने मस्जिद अल-अक्सा को पुनः निर्मित किया और इसे इबादत का स्थान बनाया।
उमय्यद खलीफा का योगदान:
691 ई. में, उमय्यद खलीफा अब्दुल मलिक ने डोम ऑफ द रॉक (कुब्बत अस-सखरा) का निर्माण किया, जो मस्जिद अल-अक्सा परिसर का हिस्सा है।
4. मस्जिद अल-अक्सा की वास्तुकला
मस्जिद अल-अक्सा एक बड़े परिसर का हिस्सा है, जिसे हरम-ए-शरीफ कहते हैं।
इसमें कुब्बत अस-सखरा (डोम ऑफ द रॉक) और कई अन्य मस्जिदें, उद्यान और ऐतिहासिक स्थल शामिल हैं।
इसका क्षेत्रफल लगभग 144,000 वर्ग मीटर है और यह यरूशलम के पुराने शहर के दक्षिण-पूर्वी कोने में स्थित है।
5. मस्जिद अल-अक्सा पर संघर्ष
क्रूसेड युद्ध:
1099 में ईसाई क्रूसेडरों ने यरूशलम पर कब्जा किया और मस्जिद अल-अक्सा को चर्च में बदल दिया।
1187 में, सलाउद्दीन अय्यूबी ने यरूशलम को फिर से मुस्लिम नियंत्रण में लिया और मस्जिद को पुनः स्थापित किया।
आधुनिक संघर्ष:
20वीं सदी में, यरूशलम और मस्जिद अल-अक्सा का क्षेत्र इस्राइल और फिलिस्तीन के बीच राजनीतिक और धार्मिक संघर्ष का केंद्र बन गया।
यह स्थल आज भी इस्लाम और यहूदी धर्म के अनुयायियों के लिए धार्मिक महत्व रखता है और इसे लेकर संघर्ष जारी है।
6. धार्मिक और आध्यात्मिक संदेश
मस्जिद अल-अक्सा केवल एक इबादतगाह नहीं है, बल्कि यह मुसलमानों के लिए एकता, संकल्प, और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। कुरान और हदीस में इसकी महानता का उल्लेख इस्लाम के लिए इसके महत्व को दर्शाता है।
7. मस्जिद अल-अक्सा का संरक्षण
मस्जिद अल-अक्सा का संरक्षण दुनिया भर के मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।
यह न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह इस्लामी इतिहास और संस्कृति का भी प्रतीक है।
निष्कर्ष
मस्जिद अल-अक्सा इस्लाम धर्म के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। मुसलमानों के लिए यह स्थल इबादत, एकता और आध्यात्मिकता का केंद्र है और इसकी सुरक्षा और सम्मान पूरे मुस्लिम समुदाय की जिम्मेदारी है।
सैफुल्लाह कमर शिबली

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