हीरोशिमा पर आइटम बम जब गिराए अमेरिका ने


हीरोशिमा पर परमाणु बम गिराए जाने की कहानी

हीरोशिमा पर परमाणु बम गिराए जाने का इतिहास द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मानव इतिहास की सबसे भयावह घटनाओं में से एक है। यह घटना 6 अगस्त 1945 को हुई थी, जब अमेरिका ने जापान के हीरोशिमा शहर पर पहला परमाणु बम गिराया। इस बम का नाम "लिटिल बॉय" था।


पृष्ठभूमि

द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) के दौरान अमेरिका और उसके सहयोगी देश जापान से लड़ रहे थे। जापान ने पर्ल हार्बर पर हमला करके अमेरिका को युद्ध में खींच लिया था। युद्ध को जल्दी खत्म करने और जापान को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर करने के लिए अमेरिका ने परमाणु बम का उपयोग करने का फैसला किया।

6 अगस्त 1945 का दिन

सुबह 8:15 बजे: अमेरिकी बी-29 बमवर्षक विमान "एनोला गे" ने हीरोशिमा पर "लिटिल बॉय" नामक परमाणु बम गिराया।

यह बम यूरेनियम-235 पर आधारित था और इसे शहर के बीचो-बीच गिराया गया।

बम गिरने के बाद विस्फोट ने 13 किलोटन टीएनटी के बराबर ऊर्जा उत्पन्न की।


विनाश और प्रभाव

तत्काल विनाश:
बम गिरने के तुरंत बाद हीरोशिमा का बड़ा हिस्सा जलकर खाक हो गया। लगभग 70,000 से 80,000 लोग तुरंत मारे गए।

विस्फोट का असर:

लगभग 2 किलोमीटर के दायरे में सब कुछ नष्ट हो गया।

भयंकर गर्मी और रेडिएशन ने लाखों लोगों को जला दिया।


रेडिएशन का प्रभाव:
जो लोग तुरंत नहीं मरे, वे रेडिएशन बीमारी और कैंसर जैसी बीमारियों से पीड़ित हुए।


जापान पर दूसरी बमबारी

9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के एक और शहर नागासाकी पर "फैट मैन" नामक दूसरा परमाणु बम गिराया।


परिणाम

15 अगस्त 1945 को जापान ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया।

लेकिन इस घटना ने दुनिया को परमाणु हथियारों की भयंकरता का गहरा सबक दिया।


नैतिक और मानवीय दृष्टिकोण

हीरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराने की घटना पर आज भी बहस होती है। कुछ लोग इसे युद्ध खत्म करने का आवश्यक कदम मानते हैं, जबकि अन्य इसे मानवता के खिलाफ एक गंभीर अपराध के रूप में देखते हैं।


यादगार और सबक

हीरोशिमा में आज "शांति स्मारक" (Hiroshima Peace Memorial) स्थित है, जो इस त्रासदी की याद दिलाता है और शांति के संदेश को बढ़ावा देता है।

यह घटना मानव इतिहास में हमेशा यह याद दिलाती रहेगी कि युद्ध और हिंसा का परिणाम कितना भयानक हो सकता है।


सैफुल्लाह कमर शिबली 

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