मदीना (अरबी: المدينة المنورة, मतलब "रोशन शहर") इस्लाम धर्म का दूसरा सबसे पवित्र शहर है, जो सऊदी अरब में स्थित है। यह पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) के जीवन, इस्लामिक इतिहास और मुसलमानों के लिए धार्मिक महत्व के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध है। मदीना का इतिहास इस प्रकार है:

प्राचीन काल का मदीना

प्राचीन काल का मदीना
पुराना नाम: मदीना को पहले यसरिब कहा जाता था। यह नाम इस्लाम से पहले के समय का है।
यह अरब प्रायद्वीप के व्यापारिक मार्गों पर स्थित था और यहाँ यहूदी और अरब जनजातियाँ निवास करती थीं
इस्लाम के आगमन का दौर
1. 622 ईस्वी - हिजरत (मदीना की ओर प्रवासन):
जब पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) और उनके अनुयायियों को मक्का में अत्याचार झेलना पड़ा, तो उन्होंने मदीना की ओर प्रवास किया। इसे इस्लामिक कैलेंडर (हिजरी) की शुरुआत माना जाता है।
मदीना में पैगंबर (ﷺ) का स्वागत बड़े आदर और प्रेम के साथ किया गया।
2. मदीना का नामकरण:
मदीना का पुराना नाम यसरिब बदलकर "अल-मदीना अल-मुनव्वरा" (रोशनी वाला शहर) रखा गया।
इसे "तैबा" और "तैय्यबा" भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है "पवित्र और अच्छा शहर।
3. इस्लामी राज्य की स्थापना:
मदीना में पैगंबर (ﷺ) ने पहला इस्लामी राज्य स्थापित किया।
यहाँ मस्जिद-ए-नबवी (पैगंबर की मस्जिद) बनाई गई, जो आज भी इस्लाम का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
4. मदीना चार्टर:
पैगंबर (ﷺ) ने मदीना चार्टर तैयार किया, जो एक संविधान था। इसमें मदीना के सभी समुदायों (मुसलमानों, यहूदियों और अन्य) के बीच शांति और न्याय सुनिश्चित किया गया।
महत्वपूर्ण घटनाएँ
1. ग़ज़वा (युद्ध):
मदीना में रहते हुए पैगंबर (ﷺ) ने कई युद्ध लड़े, जैसे बद्र, उहुद, और खंदक।
यह युद्ध इस्लाम और उसके अनुयायियों की सुरक्षा के लिए लड़े गए थे।
2. हज और इस्लाम का प्रचार:
मदीना से ही इस्लाम का संदेश पूरी दुनिया में फैलना शुरू हुआ।
3. 632 ईस्वी - वफात:
पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) का निधन मदीना में हुआ। उन्हें मस्जिद-ए-नबवी में दफनाया गया।
आज का मदीना
मदीना इस्लामी इतिहास और संस्कृति का केंद्र बना हुआ है।
मस्जिद-ए-नबवी:
यह मदीना की सबसे पवित्र जगह है, जहां पैगंबर (ﷺ) की कब्र स्थित है।
लाखों मुसलमान हर साल यहाँ उमरा और हज के दौरान आते हैं।
यह एक आधुनिक शहर है, लेकिन इसकी प्राचीन धार्मिक और ऐतिहासिक पहचान आज भी बरकरार है।
धार्मिक महत्व
मदीना में प्रार्थना करने का विशेष महत्व है।
यह शहर मुसलमानों के लिए प्यार और भाईचारे का प्रतीक है।
मदीना न केवल एक ऐतिहासिक स्थल है, बल्कि यह इस्लामिक सभ्यता और विश्वास का केंद्र भी है। मुसलमानों के दिलों में इसका स्थान विशेष है।
सैफुल्लाह कमर
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